पहले विश्व युद्ध की लाइव तस्वीर दिखाती है सैम मैंडेस की '1917', जर्मन सेना के पीछे हटने की कहानी

कार्ल विक. पहला विश्व युद्ध बेहद विनाशकारी था। जनरलों ने अग्रिम मोर्चे पर बनी खंदकों से लड़ाई का नेतृत्व किया था। खंदकों से बाहर निकले हजारों जवान सैनिक मौत की नींद सो गए थे। 1957 में आई स्टेनली क्यूब्रिक की फिल्म-'पाथ्स ऑफ ग्लोरी' ने इन स्थितियों का शानदार चित्रण किया था। नई फिल्म-'1917' ने युद्ध के हालात को तेज गति से पेश करने का प्रयास किया है। डायरेक्टर सैम मेंडेस ने जर्मन फौजों के पीछे हटने के रहस्य को सामने रखा है।

फिल्म में संदेशवाहकों के माध्यम से चेतावनी भेजी गई कि पीछे हटने की हलचल ब्रिटिश कमांडर को हमला करने के लिए जाल में फंसाने की रणनीति का हिस्सा है। फिल्म के दृश्य वास्तविक परिस्थितियों से जुड़े हैं। युद्ध के दौरान जर्मन फौजों के हिंडेनबर्ग लाइन से पीछे हटने पर कथानक केंद्रित है। मेंडेस का कहना है, मैंने जानबूझकर जोखिम उठाया है। मेंडेस ने क्रिस्टी विलसन केर्न्स के साथ स्क्रिप्ट लिखी है। उन्हें कथानक का आइडिया अपने दादा की कहानी से मिला है। वे पश्चिमी मोर्चे पर तैनात ब्रिटिश सेना के मैसेंजर थे। उन्होंने मेंडेस और उनके पिता को उन दिनों का ब्योरा बताया था।

अनिश्चितता बनाए रखने के लिए प्रमुख भूमिकाओं में कम विख्यात लोगों को लिया गया है। 'गेम ऑफ थ्रोन्स' के डीन चार्ल्स चैपमैन महत्वपूर्ण संदेश ले जाने वाले मैसेंजर- ब्लेक के रोल में हैं। दूसरे मैसेंजर-स्कोफील्ड की भूमिका जॉर्ज मैके ने की है। 6740 करोड़ रुपए की लागत से बनी फिल्म पर हॉलीवुड की छाप है। मेंडेस ने वर्ष 2000 में ऑस्कर अवॉर्ड जीतने वाली फिल्म-अमेरिकन ब्यूटी से अपने करियर की शुरुआत की थी। वे जेम्स बॉण्ड की दो फिल्मों का निर्देशन भी कर चुके हैं।



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1917 film show first world war|1917 won best motion picture in golden globe awards


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