गणतंत्र दिवस के अवसर पर 30 शहरों में सीएए के खिलाफ जमकर प्रदर्शन, कई खालिस्तानी समर्थक भी हिरासत में लिए गए

वॉशिंगटन. भारत के 71वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर अमेरिका में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ रविवार को प्रदर्शन हुए। करीब 30 शहरों में भारतीय मूल के कई अमेरिकी नागरिकों ने बड़ी संख्या में प्रदर्शन में हिस्सा लिया। वहीं, सीएए के समर्थन में भी रैलियां निकाली गई। सबसे ज्यादा शिकागों में भारतीय-अमेरिकी नागरिक जुटे थे। यहां पर कई मील लंबी मानव श्रृंखला बनाई गई। वॉशिंगटन डीसी में करीब 500 भारतीय-अमेरिकी नागरिक व्हाइट हाउस से भारतीय दूतावास के सामने स्थित गांधी प्रतिमा तक मार्च किया। वहीं, वॉशिंगटन डीसी सहित कई जगहों पर भारत के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कुछ खालिस्तानी समर्थकों को हिरासत में लिया गया।

बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी कई शहरों में शांतिपूर्ण रैलियां निकाली और प्रोटेस्ट मार्च में हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में सीएए के विरोध में बैनर लिए हुए थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। वे सीएए पर फिर से विचार करने और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) के प्रस्ताव को खत्म करने की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वे भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि को खतरे में डाल रहे हैं।

सीएए के समर्थन में भी लोगों ने रैलियां निकाली

न्यूयॉर्क, शिकागो, ह्यूस्टन, अटलांटा और सैन फ्रांसिस्को के भारतीय वाणिज्य दूतावास और राजधानी वॉशिंगटन स्थित दूतावास के निकट प्रदर्शनकारियों ने ‘भारत माता की जय’ और हिंदू-मुस्लिम-सिख-इसाई, ‘आपस में सब भाई-भाई’ का नारा लगाए। वहीं, कई जगह सीएए के समर्थन में भी रैलियां निकाली और मोदी सरकार के फैसले को बढ़िया कदम करार दिया। उनका कहना था कि भारत अपने पड़ोसी अल्पसंख्यकों का ध्यान रखता है और सीएए से भारतीय नागरिकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

आम आदमी के पास लोकतंत्र और संविधान को बचाने की ताकत है: संदीप पांडेय

प्रदर्शन में कई संगठनों ने हिस्सा लिया। इसमें इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (आईएएमसी), इक्विलिटी लैब्स, ब्लैक लाइव्स मैटर (बीएलएम), जेविश वॉयस फॉर पीस और हिंदुज फॉर ह्यूमन राइट्स (एचएफएचआर) शामिल रहे। मैग्सेसे अवॉर्ड विजेता संदीप पांडेय ने रैली को संबोधित करते हुए कहा, “भारत में सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे लोगों के खिलाफ सरकार हिंसक गतिविधियां अपना रही है। प्रदर्शनकारी सरकार की सांप्रदायिक नीतियों के खिलाफ सड़क पर उतरे हैं। इसमें भारी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुई हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि आम आदमी के पास लोकतंत्र और संविधान को बचाने की ताकत अभी भी कायम है।”

दुनियाभर में मोदी-शाह सरकार की नीति के खिलाफ वैश्विक सहमति बनी है: प्रदर्शनकारी

न्यूयॉर्क में डॉ. शेख उबैद ने कहा, “सीएए के खिलाफ न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में प्रदर्शन हो रहे हैं। इससे यह प्रदर्शित होता है कि मोदी-शाह सरकार की क्रूर नीति के खिलाफ वैश्विक सहमति बनी है।” वहीं, न्यूजर्सी में मिन्हाज खान ने कहा, “भारत में रहने वाले सभी लोगभारत के समान नागरिक हैं।भारत और उनके नागरिकों के बीच का सामाजिक संबंध उसकी बुनियाद है। यदि यह बुनियाद टूटता है तो इससे भारत को भविष्य में कई समस्याएं झेलनी पड़ेगी।”



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शिकागों में सबसे ज्यादा भारतीय-अमेरिकी नागरिक जुटे। यहां पर कई मील लंबी मानव श्रृंखला बनाई गई।


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