लगातार दूसरी बार साई इंग-विन जीतीं, कहा- चीन की विस्तारवादी नीतियों से लड़ने के लिए हम सबसे आगे खड़े

ताईपेई. डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की प्रत्याशी साई इंग-विन ने राष्ट्रपति चुनाव में दूसरे कार्यकाल के लिए जीत हासिल कर ली।उन्होंने शनिवार को अपने निकटतम प्रतिदंद्वी हन कू-यू को 80 लाख से अधिक वोटों से हराया। जीत के बाद साईने कहा कि हम चीन की विस्तारवाद नीतियों से लड़ने के लिए सबसे आगे खड़े हैं। इस चुनाव का परिणाम अहम है। ताइवान के लोगों ने यह दिखाया है कि जब उनकी संप्रभुता को खतरा होगा तो वे और अधिक जोर से आवाज उठाएंगे।’’

इस चुनाव मे साईकी जीत मेनलैंड चीन की सत्तारुढ कॉम्युनिस्ट पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। 2016 में उनके पहले कार्यकाल से ही कॉम्युनिस्ट पार्टी उन्हें हराने की पूरी कोशिश कर रही थी। इस चुनाव में कॉम्युनिस्ट पार्टी की प्रत्याशी को केवल 38प्रतिशत वोट ही मिले जबकि सई 57 प्रतिशत वोट हासिल करने में सफल रही।

‘चीन ताइवान को डराना बंद करे,हम धमकियों से नहीं डरेंगे’

साई ने कहा कि इस जीत के बाद चीन ताइवान को डराना बंद करे। मैं उम्मीद करती हूं कि बिजिंग के अधिकारी लोकतांत्रिकताइवान को पहचानेंगे। हम लोकतांत्रितक ढंग से चुनी गई सरकार होने के नाते चीन की धमकियों से नहीं डरेंगे। उन्होंने कहा कि ताइवान चीन की विस्तारवादी नीतियों से परेशान दुनिया के अन्य मुल्कों का प्रतिनिधि है। हम अपने लोकतांत्रिक संस्थानों को बचाने के साथ ही चीन के साथ आर्थिक संबंधों को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। हम दोनों पक्षों के साथ बातचीत कर शांतिपूर्ण माहौल कायम करने के पक्ष में हैं।

कॉम्युनिस्ट बनाम डेमोक्रेटिक रहा चुनाव
यह राष्ट्रपति चुनाव कॉम्युनिस्ट बनाम डेमोक्रेटिक रहा। काम्युनिस्ट पार्टी ने ‘एक देश, दो प्रणाली’ की अपनी पुरानी नीतियों के साथ चुनाव लड़ा। सई ने अपने चुनाव प्रचार में इसका खुलकर विरोध किया। उन्होंने हॉन्गकॉन्ग में लोकतंत्र समर्थित आंदोलन के खिलाफ चीन की कार्रवाई को मुद्दा बनाया। साई ने चुनाव प्रचार के दौरान ‘आज हॉन्गकॉन्ग, कल ताइवान’ का नारा दिया था। उन्होंने मतदाताओं से ताइवान की प्रशासनिक स्वतंत्रता से किसी प्रकार का समझौता न करने की अपील की थी।

चीन ने ताइवान को अलग-थलग करने की कोशिश की
चीन लगातार ताइवान को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहाहै। चीन ने इसके कूटनीतिक सहयोगियों को दूर कर दिया। मौजूदा समय में दुनिया के केवल 15 देश हीताईवान को मान्यता देते हैं। इसके पासपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र मान्यता नहीं देता। चीन ने आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए अपने सभी नागरिकों कोताइवान द्वीप पर जाना बैन कर दिया है। ताइवान को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की मांग करने वाली कई कंपनियों को चीन सरकार ने दंडित दिया है।



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साई ने चुनाव प्रचार में हॉन्गकॉन्ग आंदोलन को अपना मुद्दा बनाया था।


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