कोरोना वायरस के कारण बाजार में भारी गिरावट आज भी जारी रही। निफ्टी में 966 अंकों की तेज गिरावट दर्ज की गई, जिसके बाद लोअर सर्किट लगा दिया गया है। इससे बाजार में 45 मिनट तक के लिए कारोबार रोक दिया गया। निफ्टी में लोअर सर्किट (Lower Circuit ) लगाया गया। आज के शुरुआती करोबार में निफ्टी में 3 साल की सबसे ज्यादा की गिरावट देखी गई है। इससे पहले फरवरी 2017 में ऐसा हुआ था। जिस लोअर सर्किट के कारण बाजार को 45 मिनट तक रोका गया, आइए जानते हैं वो क्या होता और इसे कब-कब लगाया जाता है।
क्या है लोअर सर्किट
शेयर बाजार में दो सर्किट ब्रेकर होते हैं- लोअर और अपर। इनमें अपर सर्किट (Upper Circuit) शेयर बाजार में तब लगाया जाता है, जब यह एक तय सीमा से ज्यादा बढ़ जाता है। सेबी की ओर से अपर सर्किट के लिए तीन स्थितियां- 10 फीसदी, 15 फीसदी और 20 फीसदी की निर्धारित की गई हैं। इसी तरह जब जब शेयर बाजार एक निर्धारित सीमा से ज्यादा गिरने लगे, तो लोअर सर्किट (Lower Circuit) लगाया जाता है। इसके लिए भी सेबी की ओर से 10 फीसदी, 15 फीसदी और 20 फीसदी की सीमा निर्धारित की गई है।
क्यो लगाया जाता है सर्किट ब्रेकर?
शेयर बाजार में सर्किट ब्रेकर लगाने का उद्देश्य शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव को रोकना होता है। देश में इसकी शुरुआत सेबी की ओर से 2001 में की गई थी। यह कुछ खास नियमों के तहत ही लगाए जाते हैं। एनएसई बेवसाइट के अनुसार अगर दोपहर 1 बजे के पहले शेयर बाजार 10 फीसदी बढ़ जाए या गिर जाए, तो नियम के अनुसार अपर सर्किट या लोअर सर्किट लगा दिया जाता है। ऐसे में ट्रेडिंग 45 के लिए रोकी जाती है। अगर दोपहर 1 बजे के बाद 10 फीसदी उतार या चढ़ाव देखा जाता है, तब कारोबार सिर्फ 15 मिनट के लिए ही बंद किया जाता है। इसी तरह 15 और 20 फीसदी के लिए भी नियम तय किए गए हैं।
कब-कब लगा सर्किट ब्रेकर
देश में पहली बार सर्किट ब्रेकर की व्यवस्था 28 जून 2001 को लागू की गई थी और पहली बार 17 मई 2004 को इसका इस्तेमाल किया गया था। इस दिन दो बार सर्किट ब्रेकर लगाया गया था। इसके 22 मई 2006, 17 अक्टूबर 2007 और 22 जनवरी 2008 को शेयर बाजार में सर्किट ब्रेकर (circuit breakers) लगाया गया।
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