नई दिल्ली: लाइफबॉय है जहां तंदरुस्ती है वहां...और तेरा साबुन स्लो है क्या जैसे टीवी कमर्शियल हम सभी को मुंहजुबानी याद हैं। लेकिन शायद ही हमने कभी इतना सीरियस लिया होगा। अब कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच लोगों को हाथ धोने की सलाह दी जा रही है। और ऐसे वक्त में हाईजीन प्रोडक्ट बनाने वाली 2 सबसे बड़ी कंपनियां हिंदुस्तान लीवर ( लाइफबॉय निर्माता ) और Reckitt Benckiser ( डेटॉल ) के बीच अलग ही जंग छिड़ गई है। लाइफबॉय ( Lifebuoy soap ) निर्माता हिंदुस्तान यूनीलीवर ने डेटॉल के खिलाफ ये कहते हुए केस कर दिया है कि डेटॉल ( DETTOL ) एड में हैंडवॉश को बेहतर बताते हुए केक सोप को बेकार बताया जा रहा है। जबकि कोरोना जैसी महामारी के चलते पूरी दुनिया में साबुन से हाथ धोने को जरूरत बताया जा रहा है। खुद WHO ने साबुन का इस्तेमाल करने की सलाह दी है।
लॉकडाउन के खतरे के बीच FMCG कंपनियों ने जरूरी सामानों का प्रोडक्शन बढ़ाया
इसी बात पर लाइफबॉय निर्माता ने डेटॉल पर 1 करोड़ रुपए का हर्जाने की मांग करते हुए केस कर दिया है। उनका कहना है एल्कोहल बेस्ड हैंड सैनेटाइजर और बाकी प्रोडक्ट्स पानी उपलब्ध न होने पर इस्तेमाल किये जा सकते हैं। महामारी के वक्त में जनता को भ्रमित करने के लिए उन पर एक्शन की मांग की है।
जबकि Dettol निर्माता ने आरोपों से इंकार करते हुए कहा है कि कंपनी ये प्रूव नहीं कर सकती कि विज्ञापन में दिखाया गया सोप उनकी कंपनी का है तो कोई केस नहीं बनता फिर भी डेटॉल ने अपने एड को दिखाना बंद कर दिया है।
डेटॉल के एड में साबुन को बेकार बताते हुए हैंडवॉश को कीटाणु खत्म करने में साबुन से 10 गुना बेहतर बताया गया था । इसी वजह से हिंदुस्तान लीवर ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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