जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक दुनिया के 181 देश कोरोना की गिरफ्त में हैं। इन देशों में अब तक कोरोना के 11 लाख से ज्यादा केस आ चुके हैं। 60 हजार से ज्यादालोगों की जान गई है। 2.26 लाख लोग अब तक ठीक हुए हैं। सबसे ज्यादा 14,681 मौतें इटली में हुई हैं। सबसे ज्यादा 2.77 लाख केस अमेरिका में आए हैं।
दुनिया में सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में कोरोनावायरस से होने वाली मृत्युदर की बात करें, तो यह इटली में सबसे ज्यादा है। इटली में हर 100 कोरोना संक्रमित व्यक्ति में से तकरीबन 12 लोगों की मौत हो रही है। फ्रांस दूसरे नंबर पर है, यहां 100 कोरोना पीड़ित मरीजों में से 10 की जान जा रही है। तीसरे नंबर पर नीदरलैंड है। यहां हर 100 संक्रमितों में से 9 से ज्यादा लोगों की जान गई है।
वहीं, भारत में कोरोना के अब तक 3127 मामले आए हैं, जबकि 86 लोगों की मौत हुई। इस लिहाज से भारत में कोरोना से वाली मौतों की दर 2.75है। कोरोना के कुल केस के लिहाज से भारत दुनिया में अभी 29वें नंबर पर है। यानी दुनिया के 28 देशों में अभी भारत से ज्यादा कोरोना के केस हैं।
कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित टॉप-10 देशों में जर्मनी में सबसे कम1.4 मृत्युदर
कोरोनावायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित दुनिया के टॉप-10 देशों मेंसबसे कम मृत्युदर जर्मनी में है। यहां हर 100 संक्रमित व्यक्ति में से औसतन 1.4 की मौत हो रही है। जर्मनी में अब तक कोरोना के 91,159 केस आए हैं।1,330 लोगों की मौत हुई है।26,400 लोग ठीक भी हो चुके हैं। जर्मनी के बाद सबसे कम मृत्युदर अमेरिका में है। यहां दुनिया में सबसे ज्यादा 2.77 लाख केस आए हैं।7,174 लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन यहां मृत्युदर 2.6 है। यह भारत और चीन से कम है।चीन में मृत्युदर 4और भारत में 2.75है।
कोरोनावायरस का खतरा महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को है
कोरोनावायरस का महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को खतरा है। ऐसा कुछ देशों में कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़े बता रहे हैं। इटली में कोरोना से होने वाली कुल मौतों में 71% पुरुष और 29% महिलाएं हैं। इसी तरह स्पेन में कोरोना से 65% पुरुषों और 35% महिलाओं की जान गई है। मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह बीमारी पुरुषों के लिए ज्यादा घातक है। सामान्यत: माना जाता है कि महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता पुरुषों की तुलना में ज्यादा बेहतर होती है, हालांकि अभी भी यह बहस का विषय है। जेनेटिक और हार्मोनल अंतर का भी इसमें अहम भूमिका हो सकती है। इसके साथ ही पर्यावरण कारक भी महिलाओं के इम्युन सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। इसके सबके बावजूद महिलाओं को 80% आटोइम्युन बीमारियों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। लेकिन कोरोना को लेकर उनकी स्थिति बेहतर है।
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