कोरोनावायरस के कारण यूरोपियन फुटबॉल की पांच प्रमुख लीग मार्च से ही स्थगित हैं। इनके भी शुरू होने की उम्मीद नहीं दिख रही है। सबसे ज्यादा कमाई करने वाली इंग्लैंड की प्रीमियर लीग की बात करें तो यह अप्रैल तक के लिए स्थगित है। मौजूदा हालात में इसके स्टेक होल्डर्स आशंका जता रहे हैं कि लीग का मौजूदा सीजन शायद ही पूरा हो। अभी लीग की सभी 20 टीमों के 9-10 मैच बाकी हैं। अगर लीग का बाकी सीजन कैंसिल हो गया तो इसके क्लबों को कमाई में घाटा हो सकता है। इन्हें 10 हजार 77 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। सबसे ज्यादा घाटा तो मैनचेस्टर यूनाइटेड का हो सकता है। आशंका है कि उसे 116.4 मिलियन पाउंड (करीब 1080 करोड़ रुपए) कम कमाई होगी।
वहीं, कोरोनावायरस महामारी के बाद पहली बार मंगलवार को सभी जर्मन फुटबॉल क्लब ने ट्रेनिंग शुरू कर दी है। 13 मार्च से लीग के मुकाबले नहीं हो रहे हैं। सभी टीमें छोटे-छोटे ग्रुप में ट्रेनिंग कर रही हैं। फ्रेंकफर्ट के खिलाड़ी सिर्फ तीन के ग्रुप में ट्रेनिंग कर रही हैं। क्योंकि यहां के खिलाड़ी पॉजिटिव पाए गए थे।
दोनों मैनचेस्टर क्लब अपने स्टाफ को पूरी सैलरी दे रहे
हाल ही में ऐसी खबरें आई थीं कि लॉकडाउन के कारण लीग के कुछ क्लब स्टाफ को सैलरी नहीं देंगे या फिर सैलरी कम कर देंगे। लिवरपूल ने कहा था कि वह नॉन-प्लेइंग स्टाफ को अस्थाई छुट्टी पर भेज देगा, ताकि सैलरी न देनी पड़े। उसके इस कदम की फैंस ने काफी अालोचना की थी। इसके बाद लीग में टॉप पर चल रहे क्लब लिवरपूल ने सरकार की जॉब रिटेंशन स्कीम के तहत स्टाफ को 80% सैलरी देने का फैसला किया। वहीं, मैनचेस्टर के दोनों क्लब सिटी और यूनाइटेड अपने स्टाफ को पूरी सैलरी दे रहे हैं। आर्सनल ने भी अप्रैल तक की पूरी सैलरी देने का फैसला किया है। इसके बाद जैसी भी परिस्थिति होगी, वैसा निर्णय लेगा। वाटफोर्ड, वेस्टहैम, बर्नले, क्रिस्टल पैलेस सहित कई क्लब अपने स्टाफ को पूरी सैलरी दे रहे हैं।
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