अमेरिका में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई है। यह 21 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। सोमवार को बाजार बंद होने तक इसकी कीमतों में 105% की गिरावट दर्ज की गई। कीमतेंनेगेटिव 2 डॉलर प्रति बैरल (करीब 130 रुपए ) पर पहुंच गई। कोरोना की वजह से बाजार में मांग कम होने और अमेरिका में इसका भंडारण जरूरत से ज्यादा होने के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। मौजूदा समय में आलम यह है कि अमेरिका में अब कच्चे तेल के भंडारण के लिए जगह की कमी महसूस होने लगी है। ऐसे में कीमतों में और भी कमी आने की उम्मीद है।
सोमवार को वेस्ट टेक्सस इंटरमिडिएट (डब्ल्यूटीआई) में के मई वितरण में भी 300 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट देखी गई है।1986 के बाद यह पहली बार है जब कच्चे तेल की कीमतों में इतनी ज्यादा गिरावट देखने को मिली है।
अमेरिकी इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ
कोरोना वायरस संकट की वजह से दुनियाभर में घटी तेल की मांग के चलते इसकी कीमतें लगातार गिर रही हैं और इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब अमेरिकी कच्चे तेल की कीमत इतनी नीचे पहुंची है।
रिस्ताद एनर्जी के प्रमुख ब्योर्नार टोनहुगेन के मुताबिक,“वैश्विक आपूर्ति की मांग में कमी की समस्या की वजह से तेल की कीमतों में वास्तविक तौर पर गिरावट आने लगी है।”व्याच्चे तेल के साथ प्रति बैरल 3.70
व्यापारी कच्चे तेल के साथ
मंगलवार को मई डिलेवरी के लिए होने वाले सौदे का आखिरी दिन है। तेल व्यापारियों को कीमतें अदा कर डिलेवरी लेने का यह अंतिम मौका था। हालांकि मांग कम होने के कारण व्यापारी इसे खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इसके साथ ही इनके भंडारण में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कच्चा तेल रखने वाले व्यापारी अब ग्राहकों से इसे खरीदने के लिए कह रहे हैं। इन व्यापारियों की ओर से खरीदने वालों को प्रति डॉलर 3.70 डॉलर (करीब 283 रुपए)देने की पेशकश भी कर रहे हैं।इसी को कच्चे तेल की कीमतों को शून्य डॉलर प्रति बैरलनीचे जाना कहते हैं।
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