मुंबई (अमित कर्ण). लॉकडाउन पीरियड और कोरोनावायरस के चलते सेलिब्रिटीज की आदतें तक बदल रही हैं। इससे समझा जा सकता है कि इसने आम के साथ-साथ खास जनजीवन पर भी कितना गहरा असर छोड़ा है। संजय दत्त शाकाहारी हो चुके हैं। संजय लीला भंसाली लगातार नई तकनीकों के साथ जुगलबंदी कर रहे हैं। मोनी रॉय दुबई में अटकी हैं और वहां से अपने दोस्तों से अपील कर रही हैं कि उनके नाम से भी डेली वेजेस वर्कर्स की मदद की जाए। इन सबकी ताईद फिल्म प्रोड्यूसर संदीप सिंह ने की।
दैनिक भास्कर से खास बातचीत में संदीप सिंह ने कहा- बड़े-बड़े एक्टर्स इन दिनों मदद तो कर ही रहे हैं, उनकी आदतों में भी गहराई से बदलाव देखने को मिल रहा है। मैं 20 साल से फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हूं। मैंने अब तक किसी के बारे में यह नहीं सुना कि वह किसी का फोन जल्दी उठाता और अगर उठा भी लिया तो किसी लू कुशल छेम पूछता हो। इन दिनों हर कोई हर किसी का फोन उठा रहा है और कह रहा है कि पैसों की जरूरत जीने के लिए नहीं, बल्कि दिखावे के लिए पड़ती है। सभी फोन रखने से पहले यह जरूर पूछते हैं कि सब कुशल मंगल तो है?
पहली बार मां के साथ वक्त बिता रहे भंसाली
संजय लीला भंसाली पिछले 25 सालों में बहुत कम मौकों पर अपनी मां के साथ वक्त बिता पाते थे। इन दिनों वह दोनों साथ में बैठकर फिल्में देख रहे हैं। नेटफ्लिक्स पर वेब शोज सर्च कर रहे हैं। भंसाली मेरे गुरु हैं। मेरे दोस्त हैं। हम दोनों की हर दिन घंटो बातें होती हैं। पिछले कुछ महीनों से दोनों ही अपने-अपने कामों में बिजी थे। वे 'इंशाल्लाह' और 'गंगूबाई' में बिजी रहे और मैं 'पीएम मोदी' (फिल्म) की कॉन्ट्रोवर्सी में फंसा था।
अपनी मां की खास फरमाइश पर भंसाली उनके साथ 'वौर' देख रहे हैं। आज उन्हें पता चला कि कंप्यूटर सीखना कितना जरूरी है। लोगों को यकीन नहीं होगा। लेकिन भंसाली फिल्मों के काम में इतने डूबे रहे हैं कि उन्हें कंप्यूटर और व्हाट्सएप की बुनियादी जानकारी तक नहीं रहती थी। उन्होंने कभी इस पर ध्यान ही नहीं दिया। लेकिन आज वे उन सब चीजों पर वक्त दे रहे हैं ताकि सीख सकें कि नेटफ्लिक्स वगैरह कैसे ऑपरेट होते हैं। वे मेल को इनबॉक्स में सेव करना और आर्काइव में रखने जैसी तकनीक सीख रहे हैं।
आपको यकीन नहीं होगा, लेकिन उस इंसान के पास अपना पर्सनल लैपटॉप तक नहीं है। उनके ऑफिस में बहुत हैं, लेकिन उनके पास अपना नहीं है। व्हाट्सएप के अलावा, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर के मामले में भी वे अनाड़ी हैं। उन्हें मैसेज फॉरवर्ड करने तक में परेशानी होती है। आजकल वे अपनी 87 वर्षीय मां के साथ वक्त बिता रहे हैं। साथ नाश्ता, लंच और डिनर हो रहा है और ऐसा 25 सालों में पहली बार हो रहा है।
संजय दत्त ने शराब-मांस छोड़ा
बाबा (संजय दत्त) की पत्नी मान्यता और बच्चे दुबई में हैं। ऐसे में वे पूरे घर (बांद्रा एंपीरियल) में बिल्कुल अकेले हैं। वे नॉनवेज नहीं खा रहे हैं। उन्होंने शराब छोड़ रखी है। पिछली बातचीत में वे मुझे रामायण, महाभारत और ग्रहों के बारे में बता रहे थे। उनके मुताबिक, उन्होंने राहु-केतु और बाकी ग्रहों के बारे में जेल में पढ़ा था। मैं उन्हें फोन करूं या नहीं करूं, लेकिन बड़े भाई का रोज सुबह 9: 00 बजे मैसेज आता है कि भाई तुम ठीक हो? कितने बजे सोए? कल रात को क्या देखा? अच्छा तुम नॉनवेज तो नहीं खा रहे हो ना? अच्छा घर पर तो कोई नहीं आ रहा है ना? कोई आए तो मिलने के बाद हाथ जरूर धो लेना? उनके ऐसे मैसेज मेरे पास आते हैं।
संस्था खोलने की तैयारी में विवेक ओबेरॉय
विवेक ओबरॉय कह रहे हैं कि वे एक संस्था खोलेंगे और उसके जरिए पैसे इकट्ठा कर सरकार की मदद करेंगे। मौनी राय मुझे दुबई से मैसेज भेजती हैं कि वे वहां अटक गई हैं। वे मुझसे कहती हैं कि मैं उनके नाम से भी दैनिक वेतन भोगी मजदूरों की मदद कर दूं। उन्हें खाना और राशन पहुंचा दूं। दुबई से वापस आने के बाद वे मेरा भुगतान कर देंगी। वे दुबई में एक ऐड शूट करने गई थीं और देश में लॉकडाउन के चलते वापस नहीं आ सकीं।
नाना पाटेकर के बेटे मल्हार मेरे बचपन के दोस्त हैं। उनसे मिले कई साल हो गए गए। लेकिनउस मुश्किल दौर में उनका अचानक मैसेज आता है कि संदीप अपना और अपनी मां का ख्याल रखना। मनोज बाजपेयी एक शूट के लिए देहरादून गए थे और वे इन दिनों वहीं अटके हुए हैं।
फिल्म इंडस्ट्री के लोग दिन-रात यही सब बातें कर रहे हैं। कोई यह नहीं कह रहा है कि कितना बिजनेस होगा? कैसे फिल्मों की रिलीजिंग होगी? आज इन सब के लिए भी सबसे ऊपर इंसानियत है। मानवता का सरवाइवल इनकी बातचीत का टॉपिक रह रहा है। बिचिंग तो बिल्कुल खत्म हो चुकी है। कोई किसी की पर्सनल लाइफ में ताकझांक नहीं कर रहा है। न ही उस पर कोई चर्चा कर रहा है।
लॉकडाउन को लेकर मेरा पॉजिटिव नजरिया है। मेरा मानना है कि इसके बाद फिल्म इंडस्ट्री में नौकरियां बढ़ेंगी। वह इसलिए कि चीन के बाद अब विदेशों के लिए इंडिया ही सेंटर बनेगा। यहां कंपनियां खुलेंगी। पर्यटन के लिहाज से भी लोग बाहर जाने की अपेक्षा भारत का रुख ज्यादा करेंगे। साथ ही जहां फिल्मों की शूटिंग ओवरसीज लोकेशन को ध्यान में रखकर होने वाली थी, फिलहाल 1 साल पूरी तरीके से हॉटलाइन इंडिया को ध्यान में रखकर कहानियां बनेंगी।
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