डॉ. जेसिका नुटिक जिटर.मैं कैलिफोर्निया के अपने घर में बहन से वीडियो कॉल पर बात कर रही थी। शुरुआती कुछ मिनट कोरोना पर हल्के-फुल्के अंदाज में बात होती रही। अचानक वो खड़ी हो गई और गहरी सांस लेते हुए पूछा- अगर मुझे और मेरे पति को कुछ हो गया तो क्या तुम 300 किलोमीटर आकर मेरे बच्चों को अपने साथ ले जाओगी और देखभाल कर लोगी। मेरी बहन ने हर स्थिति की प्लानिंग कर रखी है। हालांकि, सभी इतना दूर का नहीं सोच पाते।
वह बताती हैं कि मेरी एक दोस्त के पति जब कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती हुए, तो दोनों को आपस में पैसों के बारे में फोन पर बात करनी पड़ी। मैंने देखा है इन दिनों कई लोग भविष्य को लेकर बहुत परेशान हैं। कोरोनावायरस ने लोगों को इतना सतर्क कर दिया है कि अब वे हर अप्रत्याशित स्थिति के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। लोग यहां तक प्लानिंग कर रहे हैं कि अगर अचानक मौत हो गई तो परिवार आगे कैसे चलेगा।
अस्पताल या क्वारैंटाइन में जाना पड़ा तो वहां वक्त कैसे कटेगा। मुसीबत में कौन साथ देगा और कौन नहीं, इस पर बातें हो रही हैं। जैसे-
अचानक आने वाली स्थिति के लिए ऐसी तैयारियां कर रहे लोग
इमरजेंसी बैगः इसमें दवाएं, पुरानी बीमारी से जुड़े दस्तावेज, चश्मा, फोन, मोबाइल चार्जर जैसी चीजें हैं। क्योंकि कोरोना मरीज के साथ कोई भी नहीं होगा।
करीबी लोगों की लिस्टः इनमें परिवार, दोस्त व अन्य लोग हैं। वे बेहतर अस्पताल, डॉक्टर के अलावा मृत्यु होने पर शरीर और ऑर्गन को लेकर भी फैसला करेंगे। वे बच्चों, परिवार और पालतू जानवरों की देखभाल भी सुनिश्चित करेंगे।
बैंक डिटेल, पासवर्डः पति-पत्नी, बच्चों या परिवार के सदस्यों के साथ बैंक खातों और अन्य पासवर्ड साझा कर रहे हैं, ताकि समय आने पर वित्तीय मदद न रुके।
इच्छाओं को लिख रहेः डॉक्टर के लिए अपनी इच्छाओं को लिख रहे। इसके लिए एडवांस फॉर्म भी भर कर रख रहे हैं। इसमें यह लिखा है कि अगर इलाज के दौरान बात करने की स्थिति में नहीं रहे या मृत्यु हो गई, तो क्या करना होगा।
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