कोरोना की वजह से Hospitality industry में लगभग 4 करोड़ नौकरियों पर संकट

नई दिल्ली। देश के विभिन्न उद्योगों के साथ ही हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री भी कोरोनावायरस संकट से जूझ रहा है। इस बीच होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एचएआई) के उपाध्यक्ष केबी कचरू ने कहा है कि अगर इस क्षेत्र की मदद के लिए तत्काल उपाय नहीं किए जाते हैं, तो भारत की हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में लगभग 4करोड़ कर्मचारी अपनी नौकरी खो सकते हैं। आपको बता दें कि कोरोना वायरस की वजह से देश में 3 मई तक लॉकडाउन है। वैसे आज से कुछ सेक्टर्स में काम शुरू हो गया है, लेकिन उनमें कई तरह की शर्तें लागू की गई हैं। अगर कोई उन शर्तों को तोड़ेगा तो सभी छूट वापस ले ली जाएंगी और पहले से ज्यादा सख्ती कर दी जाएगी।

यह भी पढ़ेंः- छूट का लाभ देने के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म में सीबीडीटी ने किए बदलाव

जीरो पर आया सेक्टर
कचरू के अनुसार उद्योग बिल्कुल भी कमाई नहीं कर रहा है और लगभग 12 महीनों के लिए ईएमआई सहित विभिन्न तरह की देनदारियां भी हैं। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में इस क्षेत्र में लगभग पांच लाख करोड़ रुपये की राजस्व गिरावट देखी जा सकती है। उन्होंने कहा, यह क्षेत्र देश के लगभग नौ प्रतिशत रोजगार का सृजन करता है और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी इसका योगदान नौ प्रतिशत से अधिक है। हम इस समय मूल रूप से शून्य पर आ चुके हैं। हम बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।

यह भी पढ़ेंः- एक साल तक सरकारी कर्मियों की पीएम केयर्स फंड में जाएगी एक दिन की सैलरी

पांच लाख करोड़ रुपए का नुकसान
कचरू ने कहा, यह एक अभूतपूर्व स्थिति है और किसी ने भी इसकी कल्पना तक नहीं की थी। भारत में लगभग साढ़े तीन से चार करोड़ नौकरियां दांव पर हैं। हम इस वित्तीय वर्ष में लगभग पांच लाख करोड़ रुपये की राजस्व हानि की उम्मीद कर रहे हैं। एसोसिएशन के प्रमुख ने कहा कि कोरोनावायरस संकट के बीच अब इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के तरीके खोजे जा रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि उद्योग किसी भी देनदारियों या बकाया की माफी की मांग नहीं कर रहा है, बल्कि वह चाहता है कि इन्हें तब तक के लिए स्थगित कर दिया जाए, जब तक कि उद्योग के अंदर नकदी प्रवाह में सुधार नहीं हो जाता।

यह भी पढ़ेंः- नेशनल पेंशन स्कीम में हुआ बड़ा बदलाव, अब निवेशक साल में दो बार कर सकेंगे यह बदलाव

पीएम मोदी को लिखा लेटर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में उद्योग निकाय ने कोरोनावायरस संकट और उसके बाद के संभावित प्रभावों की रूपरेखा तैयार की है और इस क्षेत्र के लिए राहत मांगी है, जिसमें केंद्र में ईएमआई सहित सभी देनदारियों को केंद्र, राज्य और नगरपालिका स्तर पर न्यूनतम 12 महीने तक स्थगित करना शामिल है। आपको बता दें कि देश ममें 25 मार्च से लॉकडाउन शुरू हुआ था जो पहले 21 दिनों तक 14 अप्रैल तक का था। कोरोना वायरस के मामले ज्यादा आने की वजह से लॉकडाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है।



Post a Comment

0 Comments