40 दिन के Lockdown में Indian Economy को हुआ 24 लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान

नई दिल्ली। 40 दिनों के दो चरणों के लॉकडाउन का समापन हो गया है। आज यानी सोमवार से तीसरे चरण का लॉकडाउन यानी कोरोना वायरस लॉकडाउन 3 ( Coronavirus Lockdown ) शुरू हो गया है। इन 40 में काफी रिपोर्ट आई हैं, जिसमें देश की जीडीपी के नुकासान के बारे में बताया गया है। यहां तक कि इंटरनेशनल एजेंसियों की ओर से जीडीपी ग्रोथ रेट ( GDP Growth Rate ) को 0.2 फीसदी तक कर दिया है। अब ताजा रिपोर्ट के अनुसार इन 40 दिनों में देश की जीडीपी को 24 लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है। अगर इसे प्रति दिन के नुकसान से देखने की कोशिश करें तो रोजाना भारत को 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर इस रिपोर्ट में क्या कहा गया है।

ये है रिपोर्ट
कोविड-19 महामारी के कारण 40 दिन के लॉकडाउन के बाद जीडीपी के संदर्भ में भारतीय अर्थव्यवस्था को लगभग 320 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। यह बात एक रिपोर्ट में कही गई है। भारत की दैनिक जीडीपी लगभग आठ अरब डॉलर हो सकता है। यह रिपोर्ट इंक42 द्वारा तैयार की गई है। इस रिपोर्ट के आने के बाद जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों देश की इकोनॉमी को और नुकसान उठना पड़ सकता है। अगर इसी रिपोर्ट को आधार माना जाए तो देश की इकोनॉमी को 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है। अगर आने वाले दिनों का हिसाब भी इसी तरह से लगाया जाएगा तो देश को दो हफ्तों में 8.40 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होने की संभावना है।

इन सेक्टर्स प सबसे ज्यादा असर
इंक42 द्वारा तैयार की गई डेटालैब की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रैवेल और मोबिलिटी सेक्टर पर बहुत बुरा असर पड़ा है और ओयो, ओला, मेकमायट्रिप के राजस्व में भारी गिरावट का अनुमान है। अक्सर भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) सेक्टर को छोटी फैक्टरियां बंद करनी पड़ीं और वे बहुत कम श्रमशक्ति के साथ काम कर रहे हैं। 'कोविड-19 स्टार्टअप इंपैक्ट रिपोर्ट-थ्रीट्स एंड अपॉच्र्यूनिटीज फॉर द इंडियन इकॉनॉमी' नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस महामारी ने एमएसएमई के राजस्व को कहीं अधिक खत्म किया है।

इन सेक्टर्स में राहत
कुछ सेक्टरों के लिए तो यह महामारी ताबूूत की अंतिम कील साबित हुई है। लेकिन सप्लाई चेन बाधित होने से विनिर्माण पर हर जगह प्रभाव पड़ा है। हालांकि इन व्यवधानों के बीच भी उपभोक्ताओं में आए स्वभावगत बदलावों के कारण कुछ सेक्टर शिखर पर पहुंच गए हैं। हाइपरलोकल डिलिवरीज, मीडिया एंड कंटेंट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और अन्य उद्यम संबंधित टेक एप्लीकेशंस जैसी सेवाओं की मांग में अचानक हुई वृद्धि से कुछ भारतीय स्टार्टअप्स की राजस्व संभावनाओं में आगामी वित्त वर्षो में और वृद्धि होगी।



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