मुंबई आने के बाद 8 साल तक घर बैठे रहे थे पंकज त्रिपाठी, अब इतना काम कि हो गए हैं परेशान

'गैंग्स ऑफ वासेपुर' से लेकर 'सेक्रेड गेम्स' और 'मिर्जापुर' में अपनी बेहतरीन एक्टिंग पंकज त्रिपाठी दर्शकों के चहेते सितारे बन चुके हैं। लगातार हर साल पंकज 7 से 8 फिल्मों में नजर आ रहे हैं। हाल ही में दैनिक भास्कर को दिए एक इंटरव्यू के दौरान पंकज ने अपने एक्टिंग करियर से जुड़े कई दिलचस्प सवालों का जवाब दिए हैं।

पहले दिए हुए ऑडिशन और अब के ऑडिशन में क्या फर्क है?

पिछले 4 सालों से किसी ने मेरा ऑडिशन नहीं लिया है। पहले मैं जब भी ऑडिशंस पर जाया करता था लोग मुझे अलग-अलग तरीके से किसी रोल को करने को कहते थे। मैंने कभी यह नहीं बताया कि मैं ट्रेंडएक्टर हूं या मुझे पता है कि किस रोल को कैसे करना है। लेकिन अब मैं इस मुकाम पर पहुंच गया हूं कि पिछले 4 सालों में मैंने कोई ऑडिशन नहीं दिया है।

करियर का सबसे अजीब ऑडिशन कैसा था

मैं एक डॉन के किरदार के लिए ऑडिशन देने गया था जो 2:30 से 3 घंटे तक चला था। मुझे बताया गया कि मेरा मेकओवर करेंगे और ऐसा करेंगे और ऐसा शूट होगा। लेकिन जब रोल की बारी आई तब मुझे उस डॉन के सिपाही का रोल दिया गया। 12 घंटे में मुझे सिर्फ एक शब्द बोलना था 'हुह'। उस ऑडिशन को देते वक्त मुझे लग रहा था कि बहुत बड़ा रोल है यह और शायद ये मेरी जिंदगी बदल देगा पर शूटिंग करते वक्त सच्चाई पता चल गई।

नेगेटिव किरदार से पॉजिटिव रोल कैसे मिले

शुरुआत में मुझे सिर्फ नेगेटिव किरदारों के लिए ही चुना जाता था,शायद मेरा मेरा लुक वैसा है या मेरा चेहरा वैसा है। लेकिन 'मसान' मे मेरा सिर्फ 3 मिनट का रोले देखने के बाद लोग सोचने लगे कि क्या यह वही आदमी है जिसने 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' में सुल्तान का किरदार निभाया था।'मसान' और अश्विनी अय्यर तिवारी की पहली फिल्म 'निल बटे सन्नाटा' से अचानक मेरे एक्टिंग करियर में यू टर्न आ गया। ये दो ऐसी फिल्मों है जिनके बाद मुझे अलग अलग तरह के रोल्स ऑफर होने लगे।

अब तक का सबसे मुश्किल किरदार कौन सा था

'सैक्रेड गेम्स' वेब सीरीज में मैंने गुरुजी का रोल निभाया था जो मेरे लिए वाकई बहुत मुश्किल था। पहले तो मैं ऐसे किसी गुरुजी को जानता नहीं हूं तो यह मेरे लिए किसी से रिलेट कर पाना बहुत मुश्किल था। दूसरा मुझे तो लगता है मेरे घर पर ही मुझे कोई फॉलो नहीं करता तो ऐसा दिखाना कि मैं गुरुजी हूं और मेरे अपने सारे फॉलोअर्स हैं। उस रोल को करते वक्त में हमेशा यही सोचा करता था कि इस किरदार को कैसे करूं कि सबको यकीन हो कि मैं ही गुरुजी हूं। उस रोले के लिए मैने अपनी दाढ़ी तक त्याग दी थी जो पहले कभी किसी किरदार के लिए नहीं की।

इतनी फिल्मों के साथ लाइफ कैसे करते हैं मैनेज

सच कहूं तो मैं खुद बहुत परेशान रहता हूं। मैंने खुद ही इतना सारा काम ले लिया है कि अब मुझे लगता है कि मुझे अपने काम को थोड़ा कम कर देना चाहिए। अभी लॉकडाउन है इसलिए मैं अपनी फैमिली के साथ थोड़ा समय बिता पा रहा हूं वरना उनके साथ समय बिताना बहुत मुश्किल हो जाता है। अब मैंने खुद सोचा है कि साल में तीन या चार फिल्में किया करूंगा। थोड़ा फैमिली को समय दूंगा थोड़ा सेहत को समय दूंगा।

डेट्स के लिए कितनी फिल्में ठुकरानी पड़ती हैं

ऐसा कई बार हुआ है कि मुझे फिल्म मेकर्स को मना करना पड़ता है क्योंकि मेरे पास डेट्स अवेलेबल नहीं रहती है और कई बार ऐसा होता है की अच्छी-अच्छी फिल्में भी मुझे छोड़ नहीं पड़ती है। 365 दिन है और 365 दिन ही काम कर सकता हूं उससे ज्यादा तो नहीं कर सकता। मुझे किसी फिल्म को छोड़ने का मलाल नहीं है, लेकिन हां कई बार मुझे अच्छे प्रोजेक्ट को मना करना पड़ा है।

अपकमिंग फिल्मों के लिए कैसा महसूस करते हैं

मैं अपनी आगामी सारी फिल्मों के लिए बहुत उत्सुक हूं चाहे वह '83' हो या 'गुंजन सक्सेना' हो या वेब सीरीज 'मिर्जापुर पार्ट 2' हो सभी रोल के लिए मैं बेहद उत्सुक हूं।



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