ओलिंपियन तीरंदाज दीपिका कुमारी और अतानु दास 30 जून को रांची में शादी करने जा रहे हैं। दोनों पिछले 12 साल से तीरंदाजी से जुड़े हैं। शुरू में अच्छे दोस्त थे। इसके बाद दोस्ती टूट गई। 7 साल तक एक-दूसरे से बात तक नहीं की। साथ-साथ निशाने लगाते हुए एक बार फिर दोस्ती शुरू हुई और आखिर अब ये दोनों शादी के बंधन में बंधने जा रहे हैं।
दोनों खिलाड़ी अगले साल टोक्यो में होने वाले ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कर चुके हैं। दीपिका झारखंड की जबकि अतानु दास पश्चिम बंगाल के हैं। कोरोना के बीच शादी के बारे में क्यों सोचा, इंटर-कास्ट मैरिज के लिए परिवार वाले कैसे राजी हुए। इन सब बातों पर पूर्व वर्ल्ड नंबर-1 तीरंदाजदीपिका कुमारी से बातचीत के मुख्य अंश:
सवालः कोरोना के समय ही शादी प्लान करने का कोई कारण?
जवाबः कोरोना में जिंदगी एक तरह से थम सी गई थी। फिर भी जीना तो पड़ेगा ही, तो हमने सोचा इस समय शादी करना ठीक रहेगा। पहले टोक्यो ओलिंपिक के बाद शादी का प्लान था। अब ओलिंपिक भी एक साल टल गया है। फिर न कोई कैंप चल रहा है और न ही कोई टूर्नामेंट हो रहा है। शादी में गाइडलाइन का पूरा ध्यान रखा जाएगा। 50 से ज्यादा लोग शादी में शामिल नहीं होंगे। सिर्फ फैमिली मेंबर और खास दोस्तों को ही बुलाया जाएगा।
सवालः एक समय ऐसा भी था, जब अतानु से आपकी दोस्ती टूट गई थी?
जवाबःमैं और अतानु 2008 से अच्छे दोस्त थे। 2010 में हमारी दोस्ती टूट गई। हर कैंप में, टूर्नामेंट में साथ रहते थे। साथ-साथ खेलते थे लेकिन सात साल तक हमने आपस में बात तक नहीं की। इसके बाद 2017 में मैक्सिको वर्ल्ड चैंपियनशिप के दौरान फिर बातचीत शुरू हुई और दोस्ती फिर से आगे बढ़ी। 2018 में हमने आखिरकार शादी का फैसला किया।
सवालः आपकी इंटर कास्ट मैरिज है। इसके लिए परिवार वाले कैसे राजी हुए?
जवाबःअतानु के परिवार में तो सब राजी थे, लेकिन मेरे परिवार और गांव में शुरू में लोग इंटर-कास्ट के लिए राजी नहीं थे। फिर मैंने मम्मी-पापा को समझाया। मेरे खेल की वजह से गांववालों से भी मुझे बहुत प्यार मिला है। बस जरूरत थी उनकी सोच बदलने की। उन्हें भी समझाया, फिर कोई परेशानी नहीं हुई।
सवालः लॉकडाउन के दौरान आपने किस तरह से समय बिताया?
जवाबःलॉकडाउन में घर में ही प्रैक्टिस कर रही थी। प्रैक्टिस ज्यादा नहीं की, बल्कि बंगाली खाना बनाना ज्यादा सीख रही थी। वैसे भी मुझे कुकिंग का शौक है। शादी के बाद घूमने का प्लान नहीं बनाया है। खेल के कारण विदेश बहुत घूमी हूं। मैं लद्दाख और जम्मू-कश्मीर देखना चाहूंगी। वहां के केसर के बैंगनी फूलों के बगीचे और बर्फ से घिरी पहाड़ियां मुझे पसंद हैं।
सवालः खेलप्रेमियों को आपसे ओलिंपिक मेडल की बहुत उम्मीदें हैं?
जवाबःजिंदगी में काफी कुछ हासिल किया है। सिर्फ और सिर्फ एक ही कमी है वह है ओलिंपिक मेडल। उम्मीद है टोक्यो ओलिंपिक में यह कमी भी पूरी हो जाएगी।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2B1kkNV
0 Comments