यूनाइटेड अरब अमीरात ने कोविड-19 का बहुत कारगर तरीके से मुकाबला किया है। जबकि यह एक छोटा सा खाड़ी देश है। इसकी आबादी 9.79 मिलियन यानी तकरीबन 99 लाख है। इसमें भारतीयों की संख्या 40 प्रतिशत हैं और यहां 200 से ज्यादा देशों में लोग रहते हैं। यूएई ने मार्च में ही स्थिति भांप कर सभी शैक्षणिक संस्थान बंद किए, अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक लगाई और पूरे देश में रात्रिकालीन स्टरलाइजेशन कैम्पेन चलाया। सुकून की बात है कि यूएई में कोरोना का प्रभाव कम होता दिख रहा है, रिकवरी रेट लगभग 50 प्रतिशत है और संक्रमण के केसेज में भी कमी आ रही है। धीरे-धीरे व्यावसायिक गतिविधियां भी फिर से शुरू हो रही हैं। मैं बहुत आशावान हूं कि कोरोना की इस जंग में हम सब जल्दी ही कामयाब होंगे।
कोरोना काल में यहां सभी की तरह एनआरआई अभिभावकों को भी यह चिंता थी कि कहीं कोरोना की वजह से उनके बच्चों की पढ़ाई खराब न हो। हालांकि कई देशों ने ऑनलाइन एजुकेशन को लागू कर इस उद्देश्य में सफलता हासिल करने की कोशिश की, लेकिन यह इतना आसान भी नहीं था। इसके लिए देश में एक सशक्त टेक्नोलॉजी और टेलीकम्यूनिकेशन प्लेटफॉर्म ने बेहतर काम किया। यह कैम्पेन सफल बनाने में निश्चित रूप से यूएई के प्रभावी टेलीकम्यूनिकेशन ढांचे या यूं कहे इन्फ्रा-स्ट्रक्चर की प्रमुख भूमिका रही, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसके अतिरिक्त शिक्षण संस्थाओं ने उच्च स्तर के आधुनिक सॉफ्टवेयर जैसे 'Blackboard Collaborate' अपनाया, जिसके माध्यम से प्रोफेसर अपने घर से क्लास लेता है और सारे बच्चे अपने अपने घरों से इस 'ब्लैकबोर्ड' प्लेटफॉर्म के जरिए क्लासेज अटैंड करते हैं।
एक टाइम टेबल के अनुसार बाकायदा क्लास का संचालन, सवाल-जवाब करना, ब्लैकबोर्ड पर लिखना, पावरप्वाइंट स्लाइड्स का उपयोग करना, ऑनलाइन क्विज ली जाती हैं। यानी इस तकनीक से सभी तरह की शैक्षणिक गतिविधियों का सफलतापूर्वक संचालन किया गया। देखते ही देखते 2-3 महीने का समय निकल गया और बच्चों का सेमेस्टर भी खत्म हो गया।
गत 2-3 महीने में जो शैक्षणिक गतिविधियां हुई, वह देख कर मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि आने वाले समय में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ऑनलाइन एजुकेशन बहुत ही कारगर भूमिका अदा करेगी। टेक्नोलॉजी के बढ़ते उपयोग से इसमें कई नए आयाम स्थापित होंगे।
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