अमेरिकी अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड को मंगलवार को उनके होमटाउन ह्यूस्टन में दफनाया गया। फ्लायड की अंतिम यात्रा के लिएह्यूस्टन में 6 हजार से ज्यादा लोग इकट्ठा हुए। यहां फाउंटेन ऑफ प्राइज चर्च में छह घंटे तक उनका ताबूत रखा गया। चर्च से कब्रिस्तान तक उनके शव को बग्घी में ले जाया गया। उन्हें उनकी मां की कब्र के पास ही दफनाया गया।
25 मई को धोखाधड़ी के आरोप में फ्लॉयड को मिनेपोलिस में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद पुलिस अफसर डेरेक चॉविन ने उन्हें हथकड़ी पहनाई और जमीन पर उल्टा लिटाकरगर्दन को घुटने से 8 मिनिट 46 सेकंड तक दबाए रखा। इससे जॉर्ज की सांसें रुक गईं और वे बेहोश हो गए। अस्पताल ले जाने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इस घटना का वीडियो वायरल होते ही देश भर में प्रदर्शन शुरू हो गए।
पूर्व उपराष्ट्रपतिबिडेन ने जारी किया वीडियो संदेश
अंतिम संस्कार से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार और डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जो बिडेन ने वीडियो संदेश जारी किया। उन्होंने फ्लॉयड के परिवार के प्रति संवेदना जताई। बिडेन ने यह बात जॉर्ज की 6 साल की बेटी गियाना से कहा, “आप लोग वास्तव में बहादुर हैं। किसी बच्चे को वेसवाल नहीं पूछने चाहिए, जो अश्वेत बच्चे पीढ़ियों से पूछते आ रहे हैं।वो सवाल यह है कि हमारे पिता कहां चले गए?”
अमेरिकी सांसदों ने घुटनों पर बैठकर फ्लॉयड को याद किया
अमेरिकी के 25 से ज्यादा सांसदों ने संसद के हॉल में घुटनों पर बैठकर फ्लॉयड को श्रद्धांजलि किया। इनमें हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की स्पीकर नैंसी पेलोसी और सीनेटर चक शूमर भी शामिल थे। सांसदों ने अपने गले में घाना के पारंपरिक केंटे कपड़े से बने स्टोल अपने गले में लपेट रखा था। सभी 8 मिनट 46 सेकंड तक घुटनों पर बैठे रहे। इतनी ही देर तक पुलिस अफसर के घुटने से दबोचे जाने के चलते फ्लॉयड की दम घुटने से मौत हो गई थी। केंटे कपड़े के इस्तेमाल पर सांसदों की आलोचना भी हो रही है। घाना मूल के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर जेड बेंटिल ने कहा कि अफ्रीका के हमारे पूर्वजों ने इसे राजनेताओं के सार्वजनिक कार्यक्रमों में पहनने के लिए नहीं बनाया था।
दफनाने से पहले गूंजे फ्लॉयड के आखिरी शब्द
फ्लॉयड की अंतिम यात्रा के दौरान लोगों ने ‘आई कांट ब्रीद’ और ‘‘कीप योर नी ऑफ माई नेक’’ के नारे लगाए। ये उनके आखिरी शब्द थे। उनकी मौत ने अंतरराष्ट्रीय आंदोलन को जन्म दे दिया है। दुनियाभर के कई देशों में नस्लीय भेदभाव का मुद्दा फिर से गरमाने लगा है। कई देशों में पिछले दो हफ्तों से प्रदर्शन हो रहे हैं। फ्लॉयड के आखिरी शब्दआंदोलनों के अहम नारे बन गए हैं।
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