नेपाल के कुछ इलाकों पर चीन का कब्जा सामने आने के बाद इसके खिलाफ आवाज उठने लगी है। नेपाल की जमीन पर चीनी कब्जे का खुलासा एक अखबार ने किया था। अब नेपाल की विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस के तीन सांसदों ने प्रतिनिधि सभा के सचिव को एक चिट्ठी सौंपी है। इसमें सांसदों ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से मांग की है कि वह चीन सरकार से बातचीत कर नेपाल की जमीन वापस लाएं। सांसदों ने लिखा है कि चीन ने नेपाल के कई जिलों के 64 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर लिया है। इनमें हुमला, सिंधुपालचौक, गोरखा और रसुवा जिले शामिल हैं।
सांसदों ने प्रधानमंत्री ओली से कहा है कि चीन ने पिलर नंबर 35 शिफ्ट कर दिया है। इससे गोरखा जिले का रुई गुवान गांव उनके कब्जे में चला गया। अब इस गांव के 72 परिवार चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के नागरिक बताए जा रहे हैं। इसी तरह धार्चूला जिले के 18 घरों पर भी चीन अपना दावा कर रहा है।
रुई गुवान पर 60 साल से चीन का कब्जा
इससे पहले नेपाल के पेपर अन्नपूर्णा पोस्ट ने दावा किया था कि रुई गुवान गांव में 60 साल से चीन का राज चल रहा है। नेपाल की सरकार ने कभी इसका विरोध नहीं किया।नेपाल सरकार के आधिकारिक नक्शे में भी यह गांव नेपाल की सीमा के भीतर ही दिखाया गया है। गोरखा जिले के रेवेन्यू दफ्तर में भी रुई गुवान गांव के लोगों से रेवेन्यू वसूले जाने के दस्तावेज हैं,लेकिन यहां पर नेपाल प्रशासन नहीं चलता है। इस वजह सेचीन ने इस इलाके कोअपने अधिकार में ले रखा है।
नेपाल कभी चीन से अपने इलाके नहीं हारा
चीन ने जिन इलाकों पर कब्जाकिया हैवह नेपाल कभी भी चीन से जंग के दौरान नहीं हारा और ना ही दोनों देशों के बीच ऐसा कोई विशेष समझौता हुआ था। यह केवल सरकारी लापरवाही का नतीजा है। दोनों देशों ने सीमाएं तय करने और पिलर लगाने के लिए 1960 में सर्वेयर लगाए थे। लेकिन, जानबूझकर पिलर नंबर 35 को ऐसी जगह लगाया गया, जिससे नेपाल का इलाका चीन के अधिकार में चला गया।इसके अलावा वह अब चेकम्पार सीमा के कई इलाकों पर भी पिलर लगाकर मार्किंग शुरू कर रहा है।
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