नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस लॉकडाउन ( Coronavirus Lockdown ) के दौरान काफी उपभोक्ताओं को कई आवश्यक सामान और किराना प्रोडक्ट्स ( Kirana Products ) के लिए ज्यादा भुगतान करना पड़ा, क्योंकि व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं ( Businessmen And Retailers ) ने छूट कम कर दी और साथ ही वस्तुएं उनके एमआरपी से अधिक दाम पर बेची गई। यह बात लोकल सर्कल्स द्वारा किए गए एक सर्वे में सामने आई है। सर्वे में भारत के 210 जिलों से 16,500 से अधिक उपभोक्ताओं को शामिल किया गया था, जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान और बाद में उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी गई जरूरी वस्तुओं को लेकर उनके अनुभवों को साझा किया।
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चुकानी पड़ी ज्यादा कीमत
सर्वे के अनुसार कई उपभोक्ताओं ने कहा कि कोरोना वायरस लॉकडाउन 1.0 से 4.0 के दौरान, उन्होंने बंद से पहले की तुलना में कई आवश्यक और किराना प्रोडक्ट्स के लिए अधिक भुगतान किया। इसका कारण कंपनी द्वारा कीमतों में वृद्धि करना नहीं रहा, बल्कि व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं ने छूट कम कर दी और कुछ उपभोक्ताओं को एमआरपी से अधिक दाम पर भी सामान बेचा गया। सर्वे में यह सामने आया कि 72 फीसदी उपभोक्ताओं ने लॉकडाउन 1.0 से लेकर 4.0 के दौरान पैकेज्ड फूड और किराने के सामान के लिए अधिक भुगतान किया। वस्तुओं पर मिली कम छूट और एमआरपी से अधिक दाम वसूलना इसके प्रमुख कारण रहे।
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पैकेज्ड फूड पर ज्यादा चुकाए दाम
सर्वे में सामने आया कि अनलॉक 1.0 के माध्यम से बंद में मिली कुछ राहत के बावजूद, 28 प्रतिशत उपभोक्ता अभी भी उनके दरवाजे पर ही पैकिंग का खाना और किराने का सामान ले रहे हैं। उपभोक्ताओं से पूछा गया कि 22 मार्च से पैकेट बंद खाद्य पदार्थ और किराने की वस्तुओं की खरीदारी को लेकर मूल्य के संबंध में उनके क्या अनुभव हैं। इस सवाल पर 25 फीसदी उपभोक्ताओं ने कहा कि उन्होंने समान वस्तुओं के लिए राष्ट्रव्यापी बंद से पहले के दाम पर ही खरीदारी की है, जबकि 49 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्होंने बंद से पहले की तुलना में उसी वस्तु का अधिक दाम चुकाना पड़ा, क्योंकि अब पहले की अपेक्षा छूट कम थी।
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एमआरपी से ज्यादा भुगदात
इसके अलावा 23 फीसदी लोगों ने कहा कि बंद से पहले की तुलना में समान वस्तुओं के लिए अधिक भुगतान करना पड़ा, क्योंकि उन्हें एमआरपी से कई गुना अधिक भुगतान करना पड़ा। बता दें कि ऑनलाइन या खुदरा स्टोर पर एमआरपी से अधिक दाम वसूलना कानूनी मेट्रोलॉजी अधिनियम का उल्लंघन है।
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