बेलारूस के चुनावों में एक बार फिर से अलेक्जेंडर लुकाशेंको की भारी जीत तय मानी जा रही है। सरकारी टीवी के एग्जिट पोल के मुताबिक 80% वोट उन्हें मिले हैं। उनकी विपक्षी स्वेतलाना को महज 7% वोट हासिल हुए। इसके बाद चुनावों में धांधली को लेकर राजधानी मिंस्क समेत कई शहरों में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए पानी की बौछार, रबर की गोलियां और आंसू गैस के गोले भी दागे।
प्रदर्शनकारियों ने लगाया 'गो अवे' का नारा
प्रदर्शन से जुड़े कई वीडियो फुटेज भी सामने आए हैं। इसमें प्रदर्शनकारी मिंस्क में राष्ट्रपति लुकाशेंको के लिए 'गो अवे (चले जाओ)' का नारा लगाया। ऐसे ही प्रदर्शन ब्रेस्ट और जोडिनो शहर में देखने को मिले। पूरे बेलारूस में इंटरनेट भी ब्लॉक कर दिया गया है।
स्वेतलाना ने कहा- अपनी आंखो से देखा, बहुमत हमारे साथ
स्वेतलाना टिखानोवस्ख्या ने कहा कि एग्जिट पोल में मुझे मात्र 7% वोट मिलने की बात कही जा रही है। इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। मुझे अपनी आंखो पर भरोसा है। मैंने देखा है कि बहुमत हमारे साथ है। चुनाव में धांधली हो रही है।
कौन हैं स्वेतलाना?
स्वेतलाना पहले टीचर थीं। उनके पति लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता हैं। उन्हें लुकाशेंको प्रशासन ने जेल में डाल दिया। इसके बाद से स्वेतलाना खुद मोर्चा संभाल रही हैं। चुनाव से ठीक पहले उनके कैम्पेन मैनेजर को भी गिरफ्तार कर लिया गया था।
यूरोप के आखिरी तानाशाह कहे जाते हैं लुकाशेंको
रूस की पश्चिमी सीमा से सटा बेलारूस 25 अगस्त 1991 को सोवियत संघ से अलग होकर आजाद देश बना था। इसके बाद संविधान बना और जून 1994 को पहला राष्ट्रपति चुनाव हुआ। राष्ट्रपति बने अलेक्जेंडर लुकाशेंको। 1994 से लेकर अब तक पांच बार चुनाव हो चुके हैं। राष्ट्रपति अभी भी लुकाशेंको ही हैं। लुकाशेंको को एक डिक्टेटर यानी तानाशाह के तौर पर देखा जाता है। उन पर हर बार चुनावों में गड़बड़ी कराने के आरोप लगे हैं।
ये खबर भी पढ़ सकते हैं...
1. बेलारूस में चुनाव:यूरोप के आखिरी तानाशाह कहे जाने वाले 65 साल के राष्ट्रपति लुकाशेंको को 26 साल में पहली बड़ी चुनौती, 37 साल की स्वेतलाना मुकाबले में
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
0 Comments