लेबनान की राजधानी बेरूत में मंगलवार को हुए ब्लास्ट में मरने वालों का आंकड़ा रविवार को 163 हो गया। चार हजार से ज्यादा लोग घायल हैं। कुछ की हालत अब भी गंभीर है। इस बीच, सरकार की नाकामी के विरोध में हिंसा तेज हो गई। शनिवार को प्रदर्शनकारी तीन मंत्रालयों में घुस गए। इनमें तोड़फोड़ की। आग लगाने की भी कोशिश की गई। संसद की दीवार तोड़कर अंदर घुसने का प्रयास किया। हालांकि, सुरक्षा बलों ने इसे नाकाम कर दिया।
मंगलवार को बेरूत पोर्ट पर अमोनियम नाइट्रेट के सात साल से रखे कंटेनर्स में धमाके हुए थे। इसकी धमक 240 किलोमीटर दूर तक सुनाई दी थी। अब पता लगा है कि यह कंटेनर्स मोजाम्बिक से लाए गए थे।
बच गई संसद
शनिवार को प्रदर्शनकारी विदेश, वित्त और पर्यावरण मंत्रालय में सुरक्षा घेरा तोड़कर घुसे। यहां के ऑफिसों में तोड़फोड़ की। आग लगाने की भी कोशिश की गई। प्रधानमंत्री हसन दियाब ने शांति की अपील की। ये बेअसर साबित हुई। इसके बाद प्रदर्शनकारी संसद भवन पहुंचे। यहां बाहरी दीवार तोड़कर अंदर जाने की कोशिश की। लेकिन, सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया। यहां भी हिंसा हुई। सीएनएन के मुताबिक, 1 पुलिसकर्मी की मौत हो गई। 200 लोग घायल हैं।
जल्द चुनाव कराएंगे
प्रधानमंत्री हसन ने कहा- हम लोगों की नाराजगी समझ सकते हैं। धमाके के लिए जिम्मेदार लोगों बख्शा नहीं जाएगा। हम चाहते हैं कि देश की व्यवस्थाओं और बाकी क्षेत्रों में अब बड़े सुधार हों। हमें दो महीने का वक्त दीजिए। दूसरी पार्टियों से बातचीत कर चुनाव सुधार के लिए कदम उठाएंगे। इसके बाद लोग अपनी पसंद की सरकार चुन सकेंगे। दूसरी तरफ, प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार वक्त मांगकर मामले को ठंडा करना चाहती है।
बेलगाम हो रही है हिंसा
खास बात ये है कि लेबनान के इन प्रदर्शनकारियों का न तो कोई दल है और न नेता। ये गुटों में बंटे हुए हैं। ज्यादातर युवा हैं। ये बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के परेशान हैं। इन्हें मौका मिल गया है। लिहाजा, गुस्सा इस तरह निकाला जा रहा है। अमेरिकी एम्बेसी ने एक बयान में कहा- लोगों का गुस्सा जायज है। लेकिन, हिंसा से फायदा नहीं होता। रेड क्रॉस ने यहां कई विमानों से मेडिकल इक्युपमेंट और दवाएं भेजी हैं।
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