भारत का चीन को एक और झटका, एयर कंडीशनर के इंपोर्ट पर पाबंदी

नई दिल्ली। गलवान घाटी की हिंसा के बाद भारत और चीन के आर्थिक मोर्चे पर रिश्ते लगातार कमजोर होते जा रहे हैं। जहां आम जनता और व्यापारिक संगठन एंटी चीनी प्रोडक्ट का कैंपेन चलाए हुए हैं, वहीं दूसरी ओर भारत सरकार भी चीनी प्रोडक्ट और कंपनियों के प्रवेश पर रोक लगा रही है। अब भारत सरकार ने रेफ्रिजेरेटर के बाद एयर कंडीशनर के इंपोर्ट पर रोक लगाते हुए गजट नोटिफिकेश जारी कर दिया है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर सरकार की ओर से क्या फैसला लिया गया है।

सरकार की ओर से लिया गया बड़ा फैयला
केंद्र सरकार ने रेफ्रिजेरेटर्स के बाद अब एयर कंडीशनर के इंपोर्ट पर रोक लगा दी है। इसके पीछे सिर्फ चीन को आर्थक रूप से झटका देने के साथ और भी कारण हैं। सरकार डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। वहीं सरकार इस बात पर भी जोर दे रही है कि इंपोर्ट बिल को कम करते हुए गैर जरूरी सामान के इंपोर्ट को कम किया जाए। जिसकी वजह से एयर कंडीशनर को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय की ओर से जारी गजट नोटिफिकेशन में कहा गया है कि रेफ्रिजेरेटर्स के साथ एयर कंडीशनर के इंपोर्ट को लेकर पॉलिसी में बदलाव किया गया है। इस बदलाव के तहत अब इस प्रोडडक्ट को मुक्त श्रेणी से हटाकर बैन लिस्ट सूची में डाल दिया गया है।

इन प्रोडक्ट के इंपोर्ट पर भी लग चुका है बैन
इससे पहले सरकार की ओर से और भी सामानों के इंपोर्ट पर बैन लगा चुकी है। वास्तव में सरकार की ओर से यह बैन इसलिए लगाया गया है ताकि घरेलू स्तर पर इन प्रोडक्ट का निर्माण ज्यादा से ज्यादा हो सके और देश पर से इन वस्तुओं के आयात के बोझ से मुक्ति मिल सके। इससे पहले, जून में सरकार ने कार, बसों और मोटरसाइकिल में उपयोग होने वाले नए न्यूमैटिक टायर के आयात पर पाबंदी लगाई थी।

क्या है चीन से आने वाले एयर कंडीशनर का गणित
देश में चीन से आने वाले एयर कंडीशनर का गणित काफी बड़ा है। अगर बात भारत में ओवरऑल एयर कंडीशनर मार्केट की करें तो 5 से 6 अरब डॉलर का देखने को मिलता है। कुल कारोबार में से अधिकतर ज्यादातर हिस्सा इंपोर्ट ही किया जाता है। कई मामलों में तो एयर कंडीशनर के 85 से 100 फीसदी पाट्र्स इंपोर्ट ही होते हैं। एयर कंडीशनर की बात करेे तो भारत अपनी जरूरत का 28 फीसदी हिस्सा चीन से ही इंपोर्ट करता है।



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