बॉलीवुड डेस्क.अनुभव सिन्हा निर्देशित फिल्म ‘थप्पड़’ की स्क्रीनिंग गुरुवार को भोपाल में हुई। डॉमेस्टिक वॉयलेंस पर आधारित इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई है तापसी पन्नू ने। स्क्रीनिंग के बाद दर्शकों का इंटरेक्शन तापसी पन्नू और अनुभव सिन्हा के साथ हुआ। इस दौरान सुधीर मिश्रा भी मौजूद थे।
दर्शक (तापसी से):घरेलू हिंसापर लड़के का पूरा परिवार माफी मांगता तो क्या अमृता (तापसी का किरदार) वापस चली जाती? तापसी क्या करती?
तापसी: स्क्रिप्ट मैंने पढ़ी थी और उसमें डूब भी गई थी। परिवार वाले अमृता का साथ देते और कहते कि लड़के ने गलत किया तो वह और कुछ करती। तलाक देना उसका मकसद नहीं था, लेकिन जो हुआ उसे ‘अन-डू’ करना अमृता के लिए मुश्किल था। मैं अमृता की जगह होती तो कुछ और करती, सुधरने का एक मौका जरूर देती... लेकिन सारी चीजें याद रखते हुए, भूलकर नहीं। मेरे लिए अमृता बनना मुश्किल था। मैं रियल लाइफ में ऐसा नहीं करती। मैं किसी पर चिल्ला नहीं सकती, गुस्सा नहीं करती।
दर्शक: डॉमेस्टिक वॉयलेंस का यह केस 2005 का है, इतनी देर से फिल्म क्यों बनाई?
अनुभव: देर आए दुरुस्त आए, कदम उठाना जरूरी है। सोसायटी का चेहरा दिखाया है।
दर्शक: गलतियां इंसानों से होती हैं, भगवान भी माफ कर देते हैं?
अनुभव: यह सब्जेक्टिव है, अगर हम सोचें की माफी देने में बड़े हो रहे हैं तो वहां पर उसे महान बताकर बेवकूफ बनाया जाता है।
दर्शक: फिल्म में आपने दिखाया कि आदमी औरत को थप्पड़ मारता है, लेकिन औरत आदमी को थप्पड़ मारती है तो...।
तापसी: रिश्ते में थप्पड़ मारना गलत है। हमने मेजॉरिटी को देखते हुए फिल्म बना ली है। एक्सेप्शनल केस पर आप फिल्म बना लीजिएगा। ऐसे केसहोते हैं, मैंने मेजॉरिटी को चुना।
दर्शक: ऐसा क्या लगा जो आपने ऐसी फिल्म बनाई?
अनुभव: कभी जो महसूस किया होता है वह कहीं न कहीं मन में होता है और फिल्म बनती चली जाती है। ऐसा नही है कि मुद्दों का कोई फॉर्मूला होता है।
सवाल: अगर आदमी ने सॉरी बोल दिया होता तो क्या होता?
अनुभव: सॉल्यूशन लोगों पर छोड़ा है, साथ ही लोगों को अच्छे सॉल्यूशन ढूंढ़ने चाहिए।
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