Patrika Investigation : कोरोना पर भारी पड़ी कालाबाजारी, बाजार से गायब हुए मास्क, वसूले जा रहे 5 गुना अधिक दाम

नई दिल्ली। देशभर में कोरोना को लेकर जबरदस्त खौफ है। इससे सुरक्षित होने के लिए लोग सबसे पहले मास्क खरीद रहे हैं। सुरक्षा का तो पता नहीं, लेकिन यही मास्क जमकर उनकी जेब काट रहा है। दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में पत्रिका टीम ने इसकी ग्राउंड रियलिटी चेक की तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। यहां तमाम केमिस्ट दुकानदार न सिर्फ मास्क की मनमाने दाम पर बिक्री कर रहे हैं बल्कि, चीन जहां कोरोना बीमारी से अब तक सबसे अधिक मौते हुई हैं, वहीं से आया मास्क खुलेआम बेच रहे हैं। दिल्ली में मास्क के नाम पर कैसे हो रही है लूट, इस पर पेश है पत्रिका रिपोर्टर विवेक की ग्राउंड रिपोर्ट -

कोरोना से निपटने के लिए सरकार और प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम के दावे किए हैं। दिल्ली में इन इंतजामों को परखने के लिए पत्रिका रिपोर्टर दोपहर करीब एक बजे राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे। यहां केमिस्ट दुकानदार प्रदीप ने बताया कि डिमांड बढ़ी है, मगर सप्लाई नहीं आ रही, जिससे ग्राहक खाली हाथ लौट रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिनके पास मास्क है, वे दो रुपये वाले सामान्य मास्क को 15 रुपये में बेच रहे हैं। वहीं, करीब 50 रुपये वाले मास्क 300 से 500 रुपये में बिक रहे हैं। इस कीमत में खरीदे गए मास्क का बिल मांगने पर यह कहकर मना कर दिया जा रहा है कि थोक विक्रेता फुटकर विक्रेताओं से तीन गुना अधिक कीमत पर मास्क खरीद रहे हैैं। इसके बदले उन्हें बिल भी नहीं दिया जा रहा, इसलिए फुटकर विक्रेता भी लोगों को बिल नहीं दे पा रहे।

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डिमांड बढ़ी तो कालाबाजारी शुरू हो गई
पत्रिका रिपोर्टर ने कुछ और दुकानों पर बात की तो यहां भी पता चला कि मास्क की सप्लाई कम है, जिससे लोग खाली हाथ लौट रहे हैं। दुकानदारों के मुताबिक, मास्क की मांग दो-तीन दिनों में बढ़ी है, लेकिन सप्लाई कम होने से डिमांड पूरी नहीं कर पा रहे। हालांकि, जो ग्राहक जरूरत बताकर दुकानदार पर दबाव बनाते हैं तो दुकानदार उनसे उसकी मनमानी कीमत वसूल की जा रही है। महंगे कीमत पर मास्क खरीदने वाले बिल मांगते हैं, तो तमाम बहाने बताकर बिल देने से मना कर दिया जाता है।

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मेड इन चाइना मास्क से कोरोना रूकेगा या बढ़ेगा
दिल्ली में ज्यादातर केमिस्ट दुकानदार जो मास्क बेच रहे हैं, वह मेड इन चाइना है। दुनियाभर में कोरोना ने अभी तक सबसे अधिक कहीं तबाही मचाई है तो वह चीन है। यहां गत जनवरी में कोरोना वायरस सक्रिय हुआ और अब तक लोग इसकी चपेट में हैं। मगर दिल्ली में जो मास्क बिक रहा है, वह जनवरी में ही वहां मेन्युफेक्चर हुआ है। सवाल यह है कि क्या चीन से आया मास्क कोरोना को फैलने से रोकने में मददगार साबित होगा या लोग इस मास्क के जरिए इस बीमारी को खुद आमंत्रित कर रहे हैं। बता दें कि चीन में खुद मास्क की भारी कमी थी और लोग सडक़ों, ट्रेनों में एकदूसरे से मास्क छीन रहे थे।

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दुकानदार गलत फायदा उठा रहे हैं
देखा जाए तो कोरोना के खौफ ने सिर्फ मास्क पर ही असर नहीं डाला है बल्कि हैंड सेनिटाइजर के दाम भी काफी बढ़ गए हैं। मास्क की कालाबाजारी पर 'इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन के नेशनल प्रेसिडेंट अभय कुमार के मुताबिक, यह बात सही है कि कोरोना वायरस के मामले सामने आने के बाद हैंड सेनिटाइजर और मास्क की डिमांड बढ़ी है, लेकिन ऐसा नहीं है कि डिमांड और सप्लाई में ज्यादा अंतर हुआ है। कुछ लोग इसका गलत फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। बाजार में मास्क और हैंड सेनिटाइजर की काला बाजारी होने की संभावना से इनकार नहीं कर सकते। फार्मा सेक्टर भी काला बाजारी से अछूता नहीं है।'

अधिकारियों ने कहा- हम कुछ नहीं बोलेंगे
पत्रिका रिपोर्टर जब सरकार के दावों की सच्चाई परखने राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे तो सारी गड़बडिय़ां सामने आती गईं। अस्पताल का कोई कर्मचारी मास्क नहीं पहना था। अस्पताल में पर्याप्त मास्क भी नहीं रखे हैं, जिससे आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को यह दिए जा सकें। अस्पताल प्रशासन ने इस बारे में कुछ भी कहने से साफ मना कर दिया।



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