1061 मरीजों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन दी, 98% तंदुरुस्त हुए, कार्डियक का खतरा भी नहीं

कोरोनावायरस के इलाज के लिए दो दवाओं की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। इनका नाम हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन है। इस दवा से ही फ्रांस, चीन, भारत समेत अधिकांश देशों में इलाज हो रहा है और मरीज तेजी से ठीक भी हो रहे हैं। भारत में यह दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। यही वजह है कि अमेरिका सहित दुनिया के कई देश भारत से इसकी मांग कर रहे हैं।

फ्रांस में कोरोना के 1061 मरीजों पर लगातार 3 दिनों तक इन दोनों दवाओं के जरिए इलाज किया गया। नौंवे दिन जब जांच की गई तो 973 मरीज (91.7%) पूरी तरह संक्रमणमुक्त हो गए। नतीजों में यह भी पता चला कि इस इलाज से किसी भी तरह का कार्डियक खतरा नहीं है और इसके सेवन से मरीज 98% तक पूरी तरह ठीक हो गए।

दवा कारगर है या नहीं, यही पता लगाने के लिए स्टडी की- विशेषज्ञ

फ्रांस के मार्सिले में आईएचयू मेडिटरीन इंफेक्शन के जाने-माने संक्रमण रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर दिदिएर रोल्ट ने बताया कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन दवा कोरोना के खिलाफ कारगर है या नहीं, इस बात का पता लगाने के लिए हमने स्टडी की। 3 मार्च से 9 अप्रैल 2020 तक 59,655 नमूने की जांच के बाद हमने 38,617 मरीजों की कोविड-19 की जांच की। इसमें से 3165 मरीज कोरोना पॉजिटिव पाए गए।

उन्होंने बताया किइनमें से 1061 मरीजों का हमने अपने इंस्टीट्यूट में इलाज किया। इन मरीजों की औसत उम्र 43.6 वर्ष थी और इनमें 492 पुरुष थे। 10 दिनों तक इसी दवा से हमने इलाज किया तो पाया कि 973 मरीज पूरी तरह ठीक हो गए। किसी भी मरीज में कार्डियक का किसी भी तरह का खतरा नहीं पाया गया।

प्रो. रोल्ट ने कहा- बचे मरीजों को संक्रमणमुक्त होने तक अस्पताल में ही रखा

प्रो. रोल्ट ने बताया किबचे 88 मरीजों में से 47 मरीजों में संक्रमण के लक्षण लंबे समय तक चलते रहे, जबकि 10 मरीजों को आईसीयू में रखना पड़ा। इस दौरान आईसीयू में 5 मरीजों की मौत हो गई। इनकी उम्र 74 से 95 साल के बीच थी। जबकि बचे मरीजों काे संक्रमणमुक्त होने तक अस्पताल में ही भर्ती रखा गया है।

देश में भी इसी दवा से इलाज, पर खुराक कितनी यह डॉक्टर बताएंगे

भारत में भी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन-एजिथ्रोमाइसिन के जरिए कोरोनावायरस का इलाज हो रहा है। आईसीएमआर ने 11 करोड़ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और 25 लाख एजिथ्रोमाइसिन टैबलेट कोरोना के इलाज में जुटे डॉक्टर्स और स्वास्थ्य कर्मियों को मुहैया कराई है। आईसीएमआर ने स्पष्ट किया है कि यह दवा फिलहाल उन्हीं मरीजों को दी जा रही है, जो आईसीयू में हैं या वेंटिलेटर पर हैं। दवा कब और कितनी देनी है, यह निर्णय इलाज में जुटे डॉक्टर्स को लेना है। कोरोना जैसे लक्षण वाले मरीजों को यह दवा नहीं दी जा रही है।



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प्रोफेसर रोल्ट के मुताबिक, नतीजों में यह भी पता चला कि इस इलाज से किसी भी तरह का कार्डियक खतरा नहीं है।


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