एग्जाम के लिए मिला एक्स्ट्रा टाइम, ऐसे उठाएं फायदा

देशभर में कोरोना के कारण चल रहे लॉकडाउन का असर विभिन्न कॉम्पीटिटीव एग्जाम्स पर पड़ रहा है। सीए-सीएस के मई-जून में होने वाले एग्जाम को जुलाई-अगस्त तक बढ़ा दिया गया है। कोरोना के चलते स्टूडेंट्स मेंटल स्ट्रेस के दौर से गुजर रहे हैं। नया माहौल नहीं मिल पाने के कारण बच्चों की एक्सपेक्टेशन के अकॉर्डिंग स्टडी में रिजल्ट नहीं आ रहे हैं।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना का डर भी बच्चों के एग्जाम को प्रभावित कर सकता है। वहीं नवंबर-दिसंबर में होने वाले अटेम्प्ट के लिए भी स्टूडेंट्स को कम समय मिलेगा। एवरेज स्टूडेंट्स को दोनों ही अटैम्प्ट खोने का डर भी सता रहा है। ऐसे में स्ट्रेटेजी के साथ स्टडी करने की जरूरत है। इस समय पैरेटंस को भी बच्चों को मोटिवेट करना चाहिए।

रिवाइज शेड्यूल के अकॉर्डिंग करें टाइम मैनेजमेंट
आईसीएसआई जयपुर चैप्टर के चेयरमैन नितिन होतचंदानी का कहना है कि स्टूडेंट्स को इस एक्स्ट्रा टाइम को अवसर के रूप में लेना चाहिए। अपनी तैयारी का टाइम रिवाइज शेड्यूल के अकॉर्डिंग मैनेज करें। जून में होने वाले एग्जाम अब जुलाई में होंगे। ऐसे में इस एक महीने में रिवीजन पर फोकस करें। अगर कुछ डाउट हैं तो उसे इंस्टीट्यूट को मेल करने के साथ ही फैकल्टी से क्लीयर करें। स्ट्रेस लेने की या नर्वस होने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। अभी सिर्फ जुलाई में होने वाले एग्जाम की तैयारी में अपना 100 परसेंट दें।

इंस्टीट्यूट के स्टडी मैटेरियल से करें तैयारी
द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टेड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) के जयपुर चैप्टर के चेयरमैन अनिल यादव का कहना है कि स्टूडेंट्स सिर्फ आईसीएआई के स्टडी मैटेरियल को ही फॉलो करें। अलग-अलग रेफरेंस और राइटर्स की बुक्स पढ़ने के बजाय इंस्टीट्यूट के स्टडी मैटेरियल को कम्पलीट कर बार-बार रिवीजन करें। मई में होने वाले सीए एग्जाम अब जुलाई-अगस्त में होंगे। ऐसे में बच्चों की तैयारी के लिए दो महीने का एक्स्ट्रा टाइम मिल गया है। इस समय में अपनी तैयारी को ओर मजबूत करें। रोजाना सुबह छोटे-छोटे गोल्स बनाएं, जिन्हें शाम तक पूरा करने की कोशिश करें। सीए इंस्टीट्यूट ने पहली बार 100 करोड़ का कॉर्पस फंड बनाया है। इससे मेरिट होल्डर्स के साथ ही जरूरतमंद स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप दी जाएगी।

स्ट्रैस फ्री एनवायर्नमेंट
मनोचिकित्सक डॉ. अनिता गौतम का कहना है कि एग्जाम का वक्त बच्चे के लिए सबसे ज्यादा प्रेशर वाला समय होता है। इस दौरान पैरेंट्स का रोल काफी इम्पोर्टेंट हो जाता है। इस वक्त जितना हो सकें, बच्चे को मोटिवेट करें। उसे ये विश्वास दिलाएं कि आप उसके साथ हैं, चाहे रिजल्ट कुछ भी हो। घर का माहौल सिर्फ एग्जाम तक ही सीमित नहीं रह जाए। बच्चे को इस वक्त उसकी कमियां बताकर उसे क्रिटिसाइज बिल्कुल नहीं करें। उसके अचीवमेंट्स और अब क्या अच्छा कर सकता है। इसके बारे में उसे मोटिवेट करें। एग्जाम में पैरेंट्स का रोल स्ट्रैस फ्री एनवायर्नमेंट रखने का होना चाहिए।



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